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    उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश


    वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य, जैसा कि सर्वविदित है, 02/11/1861 को मूल रूप से मध्य क्षेत्र (सेंट्रल प्राविंश ) के रूप में सृजित किया गया था, चूँकि न्यायिक आयुक्त क्षेत्र न्यायिक आयुक्त द्वारा प्रशासित था। उस समय, नागपुर स्थित न्यायिक आयुक्त का न्यायालय इस क्षेत्र का शीर्ष न्यायालय था। सन् 1921 में इसे राज्यपाल प्रांत (गर्वनर्स प्राविंश ) में परिवर्तित कर दिया गया, तब यह न्याय-प्रशासन हेतु पूर्ण उच्च-न्यायालय का हकदार हो गया। यद्यपि वित्तीय व प्रशासनिक कठिनाइयाँ लगभग पंद्रह वर्षो तक सेंट्रल प्राविंस हेतु उच्च न्यायालय के इंकार में परिणित हुई। इसी बीच, निजाम राज्य हैदराबाद के एक भाग, बरार प्रशासन हेतु सेंट्रल प्राविंश में सन् 1933 में स्थानान्तरित कर दिया गया। इस कारण राज्य को मिला इसका नया नाम ‘‘सेंट्रल प्राविंश तथा बरार‘‘ । तत्पश्चात्, सम्राट जार्ज पंचम द्वारा 2 जनवरी सन् 1936 को भारत सरकार अधिनियम 1915 की धारा-108 के अंतर्गत जारी लैटर्स पेटेंट के द्वारा सेंट्रल प्राविंश व बरार प्रांत हेतु नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना की गई। ये लैटर्स पेटेंट, जिनके अंतर्गत नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना तथा क्षेत्राधिकार निहित किया गया था, 26 जनवरी, सन् 1950 को भारतीय संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद भी इसके अनुच्छेद-225 व 372 के द्वारा प्रवृत्त रहे। नवंबर सन् 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम अधिनियमित किया गया। नवीन मध्यप्रदेश राज्य का गठन इसकी धारा-9 के अंतर्गत किया गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम् की धारा-49 की उपधारा-(1) विहित करती है कि नियुक्ति दिवस अर्थात 1 नवंबर 1956 से, वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय, अर्थात नागपुर उच्च न्यायालय, वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य हेतु उच्च न्यायालय समझा जाएगा।

    इस प्रकार नागपुर उच्च न्यायालय को समाप्त नहीं किया गया बल्कि एक कानूनी कथा द्वारा नवीन राज्य मध्यप्रदेश हेतु यह अपनी जबलपुर स्थित शाखा के साथ उच्च न्यायालय बन गया। माननीय मुख्य न्यायाधिपति द्वारा, अपने 1 नवंबर 1956 के आदेश द्वारा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की अस्थाई पीठों का गठन इंदौर तथा ग्वालियर में किया गया। बाद में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा – 51 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में दिनांक 28 नवंबर 1968 को जारी राष्ट्रपति अधिसूचना द्वारा इंदौर तथा ग्वालियर में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की स्थाई पीठों की स्थापना की गई। यह स्थिति 1 नवंबर 2000 तक रही, जब मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम् 2000 के उपबंधों के अधीन वर्तमान मध्यप्रदेश राज्य से छत्तीसगढ़ राज्य का सृजन किया गया तथा इस राज्य हेतु छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना बिलासपुर में इस की पीठ के साथ की गई।तब जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय उत्तरवर्ती मध्यप्रदेश राज्य हेतु उच्च न्यायालय बन गया।

    ई-कोर्ट परियोजना के संबंध में की गई पहल।