आभासी न्यायालय
आभासी न्यायालय, एक ऐसी अवधारणा है, जिसका उद्देश्य न्यायालय में वादकारी या अधिवक्ता की उपस्थिति को समाप्त करना तथा आभासी मंच पर मामलों का न्यायनिर्णयन करना है। इस अवधारणा का विकास न्यायालय के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और छोटे–छोटे विवादों को निपटाने के लिए वादकारियों को प्रभावी मंच प्रदाने के लिए किया गया है। आभासी न्यायालय एक आभासी इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म से एक न्यायाधीश द्वारा प्रशासित हो सकता है जिसकी अधिकारिता संपूर्ण राज्य तक हो सकती है और जो 24×7 कार्य कर सकता है। प्रभावी न्यायनिर्णयन और समाधान के लिए न तो वादकारियों को और न ही न्यायाधीश को शारीरिक रूप से न्यायालय जाना होगा। संसूचना केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होगी और, सजा और जुर्माना या अनुतोष का भुगतान भी ऑनलाइन होगा। इन न्यायालयों का उपयोग उन मामलों के निस्तारण के लिए किया जा सकता है जिनमें अभियुक्तों द्वारा अपराध का स्वतः स्वीकारोक्ति हो सके या प्रतिवादी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप में समन प्राप्त होने पर कारण का सक्रिय अनुपालन किया जा सके। इस तरह के मामलों को जुर्माने के भुगतान के बाद निस्तारित माना जा सकता है। चूंकि सर्वप्रथम ऐसे मामलों की पहचान करना अनिवार्य है जिन्हें वर्तमान में प्रायोगिक परियोजना के तहत आभासी न्यायालयों द्वारा प्रभावी रूप से निपटाया जा सके,निम्नलिखित श्रेणियों के मामलों का आभासी अदालतों में विचारण हो सकता है: –
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मोटर वाहन अधिनियम (यातायात चालान मामले) के तहत अपराध
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ऐसे अपराध जहां धारा 206 के अधीन समन जारी किया जा सकता है
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