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    आई.सी.जे.एस.

    भारत के उच्चतम न्यायालय की ईकमेटी द्वारा भारतीय न्यायपालिका में आईसीटी के कार्यान्वयन के लिए कार्य नीति और राष्ट्रीय योजनातैयार करने से न्यायिक क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग शुरू किया गया।

    अंतरप्रचलित आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) एक मंच से अदालतों, पुलिस, जेल और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं जैसे आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न स्तंभों के बीच आकड़ों और सूचनाओं के निर्बाध हस्तांतरण को सक्षम करने के लिए ईकमेटी की एक पहल है।

    आईसीजेएस प्लेटफार्म की सहायता से सभी उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा एफआईआर और आरोप पत्र के आकड़ों को एसेस किया जा सकता है। न्यायालय के उपयोग के लिए एफआईआर, केस डायरी और आरोप पत्र जैसे दस्तावेज पुलिस द्वारा पीडीएफ फॉर्मेट में अपलोड किए जाते हैं। ईकमेटी, सूचना विनियम हेतु आंकड़ों और मेटाडाटा के मानकीकरण, डेटा वैधीकरण, पावती, प्रयोक्ता पहचान/पहुंच, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के भंडारण और संरक्षण हेतु तकनीकी अवसंरचना के सृजन पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।.

    प्रत्येक राज्य में आईसीजेएस के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, उच्च न्यायालयों से अनुरोध किया गया है कि वे इससे एक आईपीएस अधिकारी की सेवाओं को संलग्न करें, जो आईसीजेएस मंच पर डेटा के एकीकरण के लिए सहायक होंगे। उच्च न्यायालयों से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का अनुरोध किया गया है जो पुलिस, भविष्य निधि संगठन, वन विभाग, नगर प्राधिकरण, श्रम कल्याण बोर्ड टाउन प्लानिंग अथॉरिटीज और खाद्य और ड्रग प्रशासन जैसे अन्य राज्य अधिकारी भी आईसीजेएस का हिस्सा हैं, हिस्सा न हो।

    आईसीजेएस प्लेटफार्म वाद और न्यायालय प्रबंधन के लिए एक प्रभावी साधन है क्योंकि इस प्लेटफॉर्म पर किसी वाद से संबंधित की सभी महत्वपूर्ण जानकारी न्यायालयों द्वारा उपयोग के लिए समयसमय पर उपलब्ध होगी। न्यायिक आदेशों और समन का अनुपालन भी प्रभावी समय प्रबंधन सुनिश्चित कर शीघ्र किया जा सकता है। आईसीजेएस गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों प्रकार से आपराधिक न्याय प्रणाली की क्षमता बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।